*"नन्हे हाथों से बड़ी नेकी"-बच्चों ने सीखी दान और हमदर्दी की अहमियत.*
औसा(प्रतिनिधी) ऑर्बिट प्री-प्रायमरी इंग्लिश स्कूल में रमज़ान के मुबारक महीने की रूहानियत को समझाने और बच्चों में दान की अहमियत उजागर करने के मकसद से एक खास एक्टिविटी आयोजित की गई.जिसका उद्देश्य बच्चों के दिलों में सदका देने की आदत और जज़्बा पैदा करना था, ताकि आगे चलकर वे भी समाज की भलाई के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा लें.इस दौरान बच्चे रोज़ाना अपनी छोटी-छोटी बचत से सदके के बॉक्स में योगदान देते रहे.आज,इस नेक पहल का नतीजा बच्चों की मौजूदगी में सामने आया,जब उन्हीं के हाथों से सदके के बॉक्स को खोला गया और उन्होंने खुद ही पैसों की गिनती की.अल्हम्दुलिल्लाह, इस नेक काम के लिए कुल ₹4,251/- जमा हुए.
इस रकम में से रु.1,001/- सोशल एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी में समाज सेवा के कार्यों के लिए दिए गए.इसके अलावा,रु.1000/- की रकम एक बेवा को दी गई और बाकी रु. 2250/- के तीन राशन किट जरूरतमंदो को देने के लिए इस्तेमाल की गई.
इस नेक पहल में बच्चों का जो उत्साह और भागीदारी देखने को मिली,वह काबिले तारीफ है.यह न सिर्फ दान देने की आदत विकसित करने का एक प्रयास था, बल्कि उनके अंदर हमदर्दी, परोपकार और सामाजिक जिम्मेदारी का जज़्बा भी पैदा करने का एक सुंदर माध्यम बना.रमज़ान सिर्फ इबादत और रोज़ों का महीना नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने, गरीबों और जरूरतमंदों की तकलीफों को समझने और उनके लिए अपने दिल में नरमी पैदा करने का भी महीना है.यह एक्टिविटी इसी मकसद को पूरा करने का एक जरिया बनी, जिसमें बच्चों ने पूरे जोश और दिल से हिस्सा लिया.
यह यकीनन एक मिसाल है कि अगर बचपन से ही बच्चों को सही दिशा दी जाए और अच्छे संस्कार सिखाए जाएं, तो वे बड़े होकर न केवल खुद अच्छे इंसान बनते हैं, बल्कि समाज की भलाई में भी अहम भूमिका निभाते हैं.यह देखकर बेहद खुशी होती है कि नन्हे मासूम दिलों में भी इंसानियत और सेवा का इतना गहरा जज़्बा मौजूद है.अल्लाह सुब्हानहु व तआला इन बच्चों की इस छोटी उम्र में किए गए इस बड़े नेक अमल को कुबूल फरमाए.इन्हें दुनिया और आखिरत दोनों में कामयाबी अता करे,इनके इल्म और अमल में बरकत दे और इन्हें समाज की बेहतरी के लिए हमेशा प्रेरणा मिलती रहे.आमीन!
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